मुख्यमंत्री ने नशे की रोकथाम के लिए विशेष एन.डी.पी.एस अदालतें स्थापित करने हेतु अमित शाह से हस्तक्षेप की मांग की

Punjab(H) पंजाबी

मुख्यमंत्री ने नशे की रोकथाम के लिए विशेष एन.डी.पी.एस अदालतें स्थापित करने हेतु अमित शाह से हस्तक्षेप की मांग की


चंडीगढ़, 11 जनवरी, देश क्लिक ब्योरो

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने आज नशे की रोकथाम के लिए विशेष एन.डी.पी.एस अदालतें स्थापित करने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से हस्तक्षेप की मांग की।

‘नशा तस्करी और राष्ट्रीय सुरक्षा’ पर क्षेत्रीय सम्मेलन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लेते हुए, मुख्यमंत्री ने भारत सरकार से अपील की कि पंजाब को विशेष एन.डी.पी.एस अदालतें स्थापित करने और सरकारी वकीलों के साथ-साथ अन्य सहायक स्टाफ की भर्ती के लिए 10 वर्षों तक एकमुश्त 600 करोड़ रुपये (60 करोड़ रुपये प्रति वर्ष) की वित्तीय सहायता प्रदान की जाए।

उन्होंने बताया कि 1 जनवरी, 2025 तक सत्र अदालतों में सुनवाई के लिए 35,000 एन.डी.पी.एस मामले लंबित हैं। वर्तमान निपटान दर के अनुसार, औसतन एक सत्र अदालत को नए जुड़ने वाले मामलों को छोड़कर लंबित मामलों की सुनवाई पूरी करने में 7 साल लगते हैं। पांच साल बाद यह औसत निपटान समय 7 साल से बढ़कर 11 साल हो जाएगा (35,000 लंबित मामलों से बढ़कर 55,000 लंबित मामले)।

मुख्यमंत्री ने बताया कि अगले पांच वर्षों में लंबित पड़े मामलों के निपटारे के लिए पंजाब में 79 विशेष एन.डी.पी.एस अदालतें स्थापित करने की आवश्यकता है और इन विशेष एन.डी.पी.एस अदालतों के लिए 79 सरकारी वकीलों सहित सहायक स्टाफ की नियुक्ति करनी होगी।

मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री से अपील की कि एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के लिए नेशनल फंड फॉर ड्रग एब्यूज (एन.डी.पी.एस एक्ट अध्याय-7ए) के तहत फंडिंग की सख्त जरूरत है। इसमें छह सीमावर्ती जिलों के लिए लाइव निगरानी प्रणाली, जेलों के लिए 5जी जैमिंग उपकरण, बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक संसाधन, जेलों में नशा मुक्ति केंद्र, जेलों में एआई निगरानी प्रणाली, नशा तस्करों के लिए विशेष जेल और सभी 28 जिलों में नशा विरोधी जागरूकता अभियान के लिए सहायता शामिल है।

उन्होंने कहा कि एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स, पंजाब और जेल विभाग से संबंधित ढांचे को मजबूत करने के लिए 16वें वित्त आयोग के माध्यम से 2829 करोड़ रुपये की फंडिंग उपलब्ध करवाई जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब में नशे के हॉट-स्पॉट को नियंत्रित करने के उद्देश्य से सी.ए.डी.ए. (काडा) फंड के प्रभावों पर सर्वेक्षण और अध्ययन करने के लिए सलाहकारों और समन्वयकों की भर्ती के लिए साल 2022 से अब तक 107 करोड़ रुपये सरकार को जमा करवाए गए हैं, लेकिन आज तक कोई भी राशि आवंटित नहीं की गई।

मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री को बताया कि पाकिस्तान के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा लगने और इसकी भौगोलिक स्थिति के कारण पंजाब को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पंजाब ने 70 और 80 के दशक में आतंकवाद के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ी थी और अब यह पाकिस्तान से आ रही नशीले पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए संघर्ष कर रहा है। पंजाब की पाकिस्तान के साथ 552 किलोमीटर की अंतरराष्ट्रीय सीमा लगती है, जिसमें लगभग 43 किलोमीटर कंटीले तार और 35 किलोमीटर नदी क्षेत्र शामिल हैं, जिनके माध्यम से नशे की तस्करी की जा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले ‘गोल्डन क्रेसेंटो’ से नशीले पदार्थों को देश के विभिन्न राज्यों और विदेशों में तस्करी करने के लिए पंजाब का इस्तेमाल एक मार्ग के रूप में किया जाता था, लेकिन अब यहां के स्थानीय निवासियों द्वारा इनका सेवन किया जाना और भी चिंताजनक विषय बन गया है। उन्होंने कहा कि बहुत कम संसाधनों के बावजूद पंजाब नशे के खिलाफ कठिन लड़ाई लड़ रहा है।

भगवंत सिंह मान ने बताया कि पंजाब पुलिस ने नशे के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए 861 अधिकारियों/कर्मचारियों की एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ए.एन.टी.एफ.) का गठन किया है, जो नशा तस्करी के खिलाफ कार्रवाई करने में विशेषज्ञ हैं। इसी प्रकार, पंजाब के प्रत्येक जिले/कमीशनरेट में नशा तस्करी को रोकने के लिए एक-एक नारकोटिक्स सेल की स्थापना की गई है।

पंजाब सरकार ने नशे को रोकने के लिए विभिन्न विभागों के बीच तालमेल के लिए राज्य स्तर पर मुख्य सचिव, पंजाब की अध्यक्षता में पंजाब नारकोटिक्स कैंपेन कमेटी और जिला स्तर पर जिला मजिस्ट्रेट के अधीन जिला मिशन टीमें गठित की हैं।

मुख्यमंत्री ने बताया कि पंजाब सरकार ने एंटी-ड्रग कार्यक्रम के लिए राज्य स्तर पर एक वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी को नोडल अधिकारी भी नामित किया है। साथ ही, पंजाब सरकार ने एंटी-ड्रग हेल्पलाइन ‘सेफ पंजाब’ की भी स्थापना की है। यह हेल्पलाइन पंजाब के नागरिकों को नशा तस्करी की घटनाओं की रिपोर्ट करने या नशा पीड़ित व्यक्तियों के इलाज में मदद के लिए एक उपयुक्त मंच प्रदान करती है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि इस हेल्पलाइन पर अब तक 1905 शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनमें से 856 पर कार्रवाई करते हुए 31 मामले दर्ज किए गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने नशे की समस्या से निपटने के लिए कार्रवाई-नशा छुड़ाने-रोकथाम (ई.डी.पी.) नीति अपनाई है। इस नीति के तहत नशे से संबंधित कानूनों को सख्ती से लागू किया जाता है और नशा छुड़ाने की सेवाएं मुफ्त प्रदान की जाती हैं। युवाओं और नागरिकों को नशे के जाल में फंसने से रोकने के लिए नशे के बुरे प्रभावों के बारे में जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने बताया कि उनकी सरकार ने पिछले ढाई साल के दौरान एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत 31,500 मामले दर्ज किए हैं, जिनमें 43,000 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इन मामलों में 2 किलो या उससे अधिक हेरोइन की बरामदगी वाले 629 बड़े अपराधी, 3000 किलो हेरोइन, 2600 किलो अफीम और 4.3 करोड़ नशीली दवाएं जब्त की गई हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सक्षम प्राधिकरण द्वारा नशा तस्करों की 449 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति जब्त की जा चुकी है। साथ ही संबंधित प्राधिकरण के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के जरिए राज्य ने 82.5 प्रतिशत मामलों में दोषियों को सजा सुनाई है, जो देश में सबसे अधिक है।

उन्होंने कहा कि नशा तस्करी के आदतन अपराधियों को पी.आई.टी.एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत हिरासत में लिया जा रहा है। इसके अलावा, राज्य ने एक सॉफ्टवेयर ‘पंजाब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम’ (पी.ए.आई.एस. 2.0) विकसित किया है, जिसे पंजाब पुलिस के लिए अपराधों की ट्रैकिंग और विश्लेषण में मदद करने के लिए तैयार किया गया है।

भगवंत सिंह मान ने बताया कि इस सॉफ्टवेयर में एक लाख से अधिक नशा तस्करों समेत कुल 3,32,976 अपराधियों का डेटाबेस है। इस डेटाबेस में नशे के मामलों को बेहतर तरीके से संभालने के लिए नशे की बरामदगी से संबंधित डेटा, आवाज विश्लेषण और अपराधियों की लिंक ट्रैकिंग जैसी विशेषताएं शामिल हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन नशा मुक्ति और पुनर्वास केंद्रों में अब तक 97,413 नशे के आदी लोगों को दाखिल किया गया है, जबकि 2022-2024 के दौरान इन केंद्रों में लगभग 10 लाख मरीजों का इलाज किया गया है। उन्होंने बताया कि युवाओं को नशे की दलदल में फंसने से रोकने के लिए सरकार ने सभी निजी और सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में ‘बड्डी’ प्रोग्राम शुरू किया है।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं, विशेष रूप से छात्रों, को ज्ञान और व्यवहारिक कौशल प्रदान करना है, साथ ही आत्म-निगरानी, सामूहिक सहायता और निगरानी प्रणाली विकसित करके उन्हें नशे के सेवन से दूर रखना है।

भगवंत सिंह मान ने कहा कि इस कार्यक्रम में अब तक लगभग 29,000 छात्र शामिल हो चुके हैं। इसके अलावा, राज्यभर में गांव स्तर पर 19,523 रक्षा समितियों का गठन भी किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब में नशे की समस्या सामाजिक-आर्थिक संतुलन को प्रभावित कर रही है, जिससे अपराध, घरेलू हिंसा और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों में भारी वृद्धि हो रही है। यह न केवल राज्य बल्कि पूरे देश को प्रभावित कर रही है। उन्होंने कहा कि पंजाब में नार्को-आतंकवाद का संबंध अंतरराष्ट्रीय ड्रग कार्टेल्स से है, जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अन्य देशों से राज्य में मादक पदार्थों की तस्करी करते हैं।

भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाब में नशे के व्यापार को राज्य में हो रही आतंकवादी गतिविधियों के लिए फंडिंग का स्रोत माना जाता है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभावित होती है।

नशे की समस्या से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक ठोस कार्ययोजना की मांग करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस समस्या को रोकना आवश्यक है क्योंकि यह समाज की सामाजिक-आर्थिक संरचना को अस्थिर कर सकती है। उन्होंने कहा कि नशा विरोधी पहलकदमियों, पुनर्वास सेवाओं, जागरूकता अभियानों और कानून लागू करने के प्रयासों को समर्थन देने के लिए केंद्र सरकार से खुले दिल से अतिरिक्त धनराशि उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता है।

भगवंत सिंह मान ने यह भी कहा कि पंजाब में पाकिस्तान सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है।

एक और मुद्दा उठाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में 1247 ड्रोन देखे जाने की रिपोर्ट मिली है, जिनमें से केवल 417 ड्रोन ही बरामद किए गए हैं। यह कुल बरामदगी का एक बहुत छोटा हिस्सा है, क्योंकि इस समय अंतरराष्ट्रीय सीमा के 552 किलोमीटर क्षेत्र में केवल 12 जैमिंग सिस्टम काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये सिस्टम केवल सीमा के 1/5 हिस्से को कवर करते हैं, जबकि 4/5 हिस्सा जैमिंग सिस्टम से वंचित है।

भगवंत सिंह मान ने कहा कि अब तक मादक पदार्थों और हथियारों का बड़ा जखीरा बरामद किया गया है, और यह बरामदगी और भी अधिक हो सकती है। इसके लिए कम से कम 50 और उन्नत तकनीक वाले जैमिंग सिस्टम स्थापित करने की आवश्यकता है।

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